बाल विकास के सिद्धांत pdf download – Principle Of Child Development In Hindi
बाल विकास के सिद्धांत (Principle Of Child Development)-
(1) विकास की दिशा का सिद्धांत (Principle of Direction) – विकास की दिशा सिर से पैर की तरफ चलती है। आपने देखा होगा कि पहले बच्चे अपने सिर को स्थिर करना सिखाता है और बाद में पैर को ।
जब हमारी विकास की दिशा सिर से पैर की तरफ होती है तो इसे मस्काधोमुखी या शीर्षाभिमुखी सिद्धांत(Cephalocaudal) कहते है।
जब हमारे विकास का क्रम मध्य से शुरू होकर बाहर की तरफ होता है तो समीप दुरभिमुख (Proximodistal) कहलाता है। अतः कह सकते है कि विकास क्रमिक होता है।
(2) समान प्रतिमान का सिद्धांत (Principle of Similar Pattern) – इसके अनुसार प्रत्येक जाति अपनी जाति के अनुरूप के विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती है।
उदहारण – मानव, हाथी गाय, आदि।
(3) निरंतरता का सिद्धांत (Principle of continuity) – विकास कभी न रुकने वाली प्रक्रिया है। यह जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है केवल इसकी मंद और तेज होती है। यह माँ के गर्भ से मृत्यु तक चलता है
(4) सामान्य से विशिष्ट क्रियाओ का सिद्धांत (Principle of general to specific Response) – हमारा विकास सदैव सामान्य से विशिष्ट क्रियाओं की ओर चलता है न की विशिष्ट से सामान्य की ओर ।
उदहारण- उठना बैठना, चलना, दौड़ना
(5) पूर्वानुमान का सिद्धांत (Principle of Predictability) – विकास पूर्वानुमान होता है क्योंकि हम पहले ही अनुमान लगा सकते हैं कि विकास किस दिशा में ज़्यादा होगा।
(6) एकीकरण का सिद्धांत (Principle of Unitary Process)– बच्चों में एकीकरण का गुण पाया जाता है जब हम काम करते है तो वह एकीकरण कहलाता है एक काम को करने के लिए अपने हाथ पेरो को एक साथ मिलाकर काम करते है तो वह एकीकरण कहलाता है
(7) व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धांत (Principle of Individual Difference) – बच्चों का विकास व्यक्तिगत विभिन्ता के अनुसार चलता है किसी में विकास की गति तेज तो किसी में कम होती है।

Facts –
- बच्चों के विकास में Individual Differences, Heredity and Environment की पारस्परिकता पर Depend करता है, और इन्ही दोनों की वजह से Individual Differences होते है। इसलिए हम यह नहीं कह सकते की Heredity का 50% और Environment का 50% भागीदारी होता है।
- हमारी intelligence, motivation interest etc अलग अलग होती है –
(8) वर्तुलाकार बनाम रेखीय प्रगति का सिद्धांत (Principle of Spiral verses Linear Advancement)- विकास कभी भी रखिये नही होता मतलब वह कभी भी सीधी रेखा में नहीं चलता। कभी उसकी गति धीमी तो कभी तेज होती है ।
(9) अंतरसंभन्दित विकास का सिद्धांत ( Principle of Inter Development )- शारीरिक, बौद्धिक, संवेगात्म, सामाजिक और अन्य प्रकार के विकास अन्तरसम्बंदित और परस्पर निर्भर करते हैं।
बाल विकास के सिद्धांत – Principle Of Child Development
Important Facts-
1. विकास की प्रक्रिया अविराम गति से चलती है।
2. विकास सिर पे पैर की ओर होती हैं और उसके बाद बाह और हाथ का ।
Cephalocaudal – head to foot
Proximodistal – Outwards arms and logs the hands and feet
3. शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक आदि पहलुओं के विकास में परस्पर सम्बन्ध होना।
4. विकास के प्रत्येक स्वरूप में वैयक्तिक विभिन्नता होती है।
5. विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है।
6. विकास का क्रम समान होता है।
7.विकास का क्रम निश्चित होता है।
8. विकास लम्बवत् सीधा न हो कर वर्तुलाकार होता है
9. विकास में वंशानुक्रम व वातावरण गुण दोनों की अन्त क्रिया होती है।
10. वृद्धि और विकास की गति की दर एक सी नहीं रहती
11. विकास परिपक्वता तथा सीखने की उपज है। (Development is the product of maturation and learning)
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